

नवरात्रि पूजन विधि (Navratri Poojan Vidhan)
नौ देवियों के बीज मंत्र (Beej Mantra)
माँ शैलपुत्री → ॐ ह्रीं शैलपुत्र्यै नमः
माँ ब्रह्मचारिणी → ॐ ह्रीं ब्रह्मचारिण्यै नमः
माँ चंद्रघंटा → ॐ ह्रीं चन्द्रघण्टायै नमः
माँ कूष्माण्डा → ॐ ह्रीं कूष्माण्डायै नमः
माँ स्कंदमाता → ॐ ह्रीं स्कन्दमातायै नमः
माँ कात्यायनी → ॐ ह्रीं कात्यायन्यै नमः
माँ कालरात्रि → ॐ ह्रीं कालरात्र्यै नमः
माँ महागौरी → ॐ ह्रीं महागौर्यै नमः
माँ सिद्धिदात्री → ॐ ह्रीं सिद्धिदात्र्यै नमः
नौ देवियों के भोग (Naivedya)
1. माँ शैलपुत्री – घी से बनी वस्तुएँ (विशेषकर शुद्ध घी)
2. माँ ब्रह्मचारिणी – मिश्री और गुड़
3.माँ चंद्रघंटा – दूध, दही, खीर
4. माँ कूष्माण्डा – मालपुआ, कद्दू, मीठे पकवान
5. माँ स्कंदमाता – केले
6. माँ कात्यायनी – शहद
7. माँ कालरात्रि – गुड़ और जौ
8. माँ महागौरी – नारियल, सफेद मिठाई, खीर
9. माँ सिद्धिदात्री – तिल और नारियल
विशेष देवियों के मंत्र और साधना-विधान (संक्षेप में)
1. त्रिपुरा सुंदरी साधना
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मंत्र (गुप्त रूप से दिया जाता है, पर सामान्य में प्रयोग होने वाला बीज मंत्र):
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः” -
विधान: श्री यंत्र या श्रीचक्र की स्थापना कर, लाल पुष्प, लाल चंदन और सुगंधित धूप से पूजन करें। रात्रि में 108 या 1008 जप करें।
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फल: सौंदर्य, आकर्षण, ऐश्वर्य, वाणी-सिद्धि।
2. महाकाली साधना
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बीज मंत्र:
“ॐ क्रीं कालिकायै नमः” -
विधान: रात्रिकाल में, नीले या काले वस्त्र पहनकर, शमशान या एकांत स्थान में पूजा करें। नीले पुष्प, काले तिल और गुड़ से हवन करें।
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फल: शत्रु नाश, भय से मुक्ति, अदृश्य शक्तियों पर नियंत्रण।
3. बगलामुखी साधना
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बीज मंत्र:
“ॐ ह्लीं बगलामुख्यै नमः” -
विधान: पीले वस्त्र धारण करें। पीले आसन पर बैठकर, हल्दी की माला से जप करें। हवन में हल्दी की गाँठें और सरसों का प्रयोग करें।
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फल: शत्रु-विनाश, वाणी पर नियंत्रण, मुकदमे या विवाद में विजय।
4. छिन्नमस्ता साधना
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बीज मंत्र:
“ॐ क्ष्रौं छिन्नमस्तायै नमः” -
विधान: मध्य रात्रि में, लाल वस्त्र और लाल आसन पर बैठकर पूजा करें। रक्तवर्णी पुष्प, लाल चंदन और मदिरा/लाल रस का प्रयोग नैवेद्य में होता है।
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फल: वशीकरण, आत्म-नियंत्रण, गुप्त सिद्धियाँ।
1. घट स्थापना (Kalash Sthapna)
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प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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पूजा स्थान पर चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएँ।
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उस पर मिट्टी की वेदी बनाकर जौ/गेहूँ बोएँ।
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उस पर कलश रखें।
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कलश में जल, पंचरत्न, सुपारी, सिक्का डालें।
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आम्रपल्लव लगाएँ और ऊपर नारियल रखकर मौली से बाँध दें।
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कलश पर स्वस्तिक बनाएँ।
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संकल्प लें:
"मम सकलसंपद्सिद्ध्यर्थे श्रीदुर्गादेवीपूजनं करिष्ये"

संकल्प
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प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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पूजन स्थान पर चौकी या वेदी स्थापित करें।
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उस पर लाल वस्त्र बिछाकर माता दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
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कलश स्थापना करें – कलश में जल, सुपारी, अक्षत, सिक्का और आम्रपल्लव रखें, नारियल रखकर मौली से बाँध दें।
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दीपक प्रज्वलित करें।
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माता का आवाहन
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दोनों हाथ जोड़कर माता दुर्गा का आवाहन करें –
"ॐ अम्बिकायै नमः, ॐ दुर्गायै नमः, ॐ जगदम्बायै नमः" -
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पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा
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गंध (चंदन), पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य चढ़ाएँ।
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माता को लाल फूल, सिंदूर, चुनरी और श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें।
नवरात्रि की नौ देवियाँ
कुमारिका पूजन विधि (शास्त्रसम्मत)
नवरात्रि के आठवें अथवा नौवें दिन ब्राह्ममुहूर्त में स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और पूजन स्थल पर कलश स्थापन करें। तत्पश्चात कन्याओं (2 से 10 वर्ष की) को देवी स्वरूप मानकर आमंत्रित करें।
सबसे पहले उनके चरण धोकर आसन पर बैठाएँ और फिर मंत्रोच्चारण के साथ पूजन करें –
पूजन मंत्र:
“या देवी सर्वभूतेषु कुमारी रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥”
इसके बाद उन्हें अक्षत, रोली, पुष्प और कुमकुम अर्पित करें। प्रत्येक कन्या को चुनरी पहनाएँ और उन्हें महालक्ष्मी, महासरस्वती, महाकाली आदि रूपों में भावपूर्वक पूजें।
उनके समक्ष नैवेद्य (पूड़ी, काला चना और हलवा) अर्पित कर यह मंत्र बोलें –
नैवेद्य मंत्र:
“ॐ अमृतापिधाने नमः स्वाहा ।”
भोजन कराने के पश्चात कन्याओं को दक्षिणा, फल और उपहार भेंट करें और अंत में उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।
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“या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥”
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“सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तु ते ॥”