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maa baglamukhi

बगलामुखी साधना

maa Baglamukhi blessing devotees with divine energy

महत्व

मां बगलामुखी दस महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या हैं। इनकी साधना से शत्रु पर विजय, वाणी पर नियंत्रण, वाक्-सिद्धि, मुकदमे/कानूनी कार्यों में सफलता तथा समस्त नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।

मंत्र (Baglamukhi Beej Mantra)

ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा॥"

अन्य मंत्र

  1. बीज मंत्र

    • "ॐ ह्लीं बगलामुख्यै नमः॥"

  2. एकाक्षरी मंत्र

    • "ॐ ह्लीं॥"

  3. गुप्त मंत्र

    • "ॐ ह्लीं वद वद वाग्वादिनी बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं स्तम्भय जिव्हां कीलय कीटं कीलय ह्लीं स्वाहा॥"

मां बगलामुखी स्तोत्र (Prarthana Stotra)

ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय।
जिव्हां कीलय बुद्धिं नाशय ह्लीं ॐ स्वाहा॥

जय देवी बगलामुखि, पीतवर्णे शुभानने।
खड्गपाशधरां देवीं नमामि शत्रुनाशिनी॥

पीताम्बरा पीतवपुः पीतगन्धानुलेपिता।
पीतपुष्पप्रियां देवीं बगलां वन्दे सर्वदा॥

स्तम्भय स्तम्भय दुष्टानां वाचं कर्म च दारुणम्।
मम कार्यं सफलं कुरु, जय जय बगलामुखि॥

सुरासुरनमस्कारा सर्वसिद्धिप्रदायिनी।
वाणीं देहि मम श्रेयः, जय त्वं पीतवासिनि॥

आप इसे जप के बाद 3 बार 11 बार पढ़ें।

साधना विधि

  1. साधना रात्रि में या विशेषत: अमावस्या / मंगलवार / गुरुवार को करें।

  2. पीले वस्त्र पहनें, पीले आसन (कुश/पीला कपड़ा) पर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठें।

  3. सामने मां बगलामुखी की प्रतिमा / चित्र रखें।

  4. पीली सरसों, हल्दी, पीले पुष्प से पूजन करें।

  5. धूप, दीप जलाकर 108 बार मंत्र जप से शुरुआत करें।

  6. साधक चाहे तो समयानुसार 1 माला से 21 माला तक जप कर सकता है।

  7. साधना के अंत में हवन करें।

  8. हवन के बाद स्तुति और प्रार्थना कर आशीर्वाद लें।

मां बगलामुखी हवन विधि

  • स्नान कर पीले वस्त्र पहनें।

  • पीले आसन पर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठें।

  • सामने हवन कुंड रखें, कलश स्थापना करें।

  • हवन कुंड में आम्र/पीपल की लकड़ी रखें।

  • अग्नि प्रज्वलित करें (गाय के घी से)।

  • पूजन

  • कलश में जल, सुपारी, मौली, हल्दी, चावल डालें।

  • गणेश पूजन → गुरु पूजन → नवग्रह पूजन → बगलामुखी पूजन करें।

  • मां को पीले पुष्प, हल्दी, पीली सरसों, गुड़, चना अर्पित करें।

  • हवन सामग्री 

  • घी – प्रत्येक आहुति में थोड़ा घी डालें।

  • पीली सरसों – शत्रु निवारण व नकारात्मक ऊर्जा शांति के लिए।

  • हल्दी की गांठ / चूर्ण – वाणी, मुकदमे व वाक्-सिद्धि हेतु।

  • चना दाल व गुड़ – समृद्धि व कार्यसिद्धि हेतु।

  • पीले फूल (गेंदा) – देवी को प्रसन्न करने हेतु।

  •  आप इन सभी को मिलाकर हवन सामग्री मिश्रण भी बना सकते हैं और हर आहुति में डाल सकते हैं।

  • आहुति संख्या

  • सामान्य साधना → 108 आहुति

  • विशेष साधना → 1,100 आहुति

  • सिद्धि साधना → 10,000 या अधिक आहुति

  • आहुति विधि 

  • पहली आहुति: "ॐ गणपतये नमः स्वाहा॥"
    (गणेश पूजन)

  • दूसरी आहुति: "ॐ गुरुभ्यो नमः स्वाहा॥"
    (गुरु पूजन)

  • तीसरी आहुति: "ॐ अग्नये नमः स्वाहा॥"
    (अग्नि देव पूजन)

  • मुख्य आहुति: हर बार
    "ॐ ह्लीं बगलामुख्यै स्वाहा॥"
    (सामग्री डालें)

  •  अंतिम आहुति पर कहें –
    "ॐ पूर्णाहुति समर्पयामि स्वाहा॥"
    और मिश्रित सामग्री (घी + सब सामग्री) अर्पित करें।

  • हवन के बाद

  • बगलामुखी स्तुति/प्रार्थना करें।

  • देवी से शत्रु निवारण, वाणी सिद्धि, विजय की प्रार्थना करें।

  • प्रसाद वितरण करें।

यदि कोई व्यक्ति शत्रु से परेशान है तो वह बगलामुखी माता का हवन करके शत्रु निवारण कर सकता है। इस विशेष हवन में घी की जगह सरसों का तेल उपयोग किया जाता है। हवन सामग्री में लाल साबुत मिर्च, पीली सरसों, चने की दाल, हल्दी और पीले फूल (विशेषकर गेंदा या कनेर) शामिल करना श्रेष्ठ माना गया है। हवन करते समय शत्रु या रोगी का नाम लेकर आहुति दी जाती है और प्रत्येक आहुति के साथ “ॐ ह्लीं बगलामुख्यै स्वाहा॥” मंत्र बोला जाता है। यह प्रयोग तभी फलदायी होता है जब इसे न्याय और धर्म के पक्ष में किया जाए, क्योंकि देवी-देवता सदैव न्यायप्रिय होते हैं। यदि इसे किसी गलत या अन्यायपूर्ण कारण से किया जाए, तो इसका विपरीत असर साधक पर ही पड़ सकता है।

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