

KALI MATA MANTRA
काली साधना की संपूर्ण विधि
श्री दक्षिण काली मंत्र
क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं
दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं स्वाहा ॥
Krim Krim Krim Hrim Hrim Hum Hum
Dakshine Kalike Krim Krim Hrim Hrim Hum Hum Swaha ॥
माँ काली के प्रमुख मंत्र (Maa Kali Mantras)
1. काली बीज मंत्र | Kali Beej Mantra
ॐ क्रीं कालीकायै नमः
Om Krim Kalikayai Namah
2. महामंत्र | Maha Mantra
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
Om Aim Hrim Klim Chamundayai Vichche
3. दक्षिण काली मंत्र | Dakshina Kali Mantra
ॐ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिकायै नमः
Om Hrim Hrim Dakshine Kalikayai Namah
4. गुप्त काली मंत्र | Secret Kali Mantra
ॐ क्रीं कालिकायै स्वाहा
Om Krim Kalikayai Swaha
5. भद्रकाली मंत्र | Bhadrakali Mantra
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं भद्रकालयै नमः
Om Aim Hrim Shrim Bhadrakalayai Namah
6. एकाक्षरी मंत्र | One-Syllable Mantra
क्रीं
Krim

संकल्प एवं आचमन
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आचमन करें।
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संकल्प लें: "मैं अमुक नाम, अमुक गोत्र, भगवती काली की कृपा एवं सिद्धि के लिए यह साधना करता हूँ।"
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विनियोग
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ॐ अस्य श्रीकालीमन्त्रस्य महाकाल ऋषिः । अनुष्टुप् छन्दः । काली देवता । क्रां बीजम् । ह्रीं शक्तिः । क्रीं कीलकम् । मम सर्वसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ॥
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ध्यान
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श्यामां श्मशानवासिनीं स्मितमुखीं क्रीडानवद्विग्रहां भुज्यद्वष्टशिखण्डमाल्यविलसच्छूलप्रसूनप्रियाम् । सिद्धिद्वन्द्वसुतां सुरासुरनमद्वन्द्वारिसंहारिणीं वन्दे हंसरथस्थितां भगवतीं त्रैलोक्यमातर्यहम् ॥
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करन्यास
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ॐ क्रां अंगुष्ठाभ्यां नमः । ॐ क्रीं तर्जनीभ्यां नमः । ॐ क्रूं मध्यमाभ्यां नमः । ॐ क्रैं अनामिकाभ्यां नमः । ॐ क्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः । ॐ क्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ॥
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अंगन्यास
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ॐ क्रां हृदयाय नमः । ॐ क्रीं शिरसे स्वाहा । ॐ क्रूं शिखायै वषट् । ॐ क्रैं कवचाय हुम् । ॐ क्रौं नेत्रत्रयाय औषट् । ॐ क्रः अस्त्राय फट् ॥
महाकाली स्तुति
ॐ काली काराली च मनोजवा च,
सुलोहिता या च सुधूम्रवर्णा।
स्फुलिङ्गिनी च विश्वरुची च देवी,
लेलायमाना इति सप्तवाह्निः॥
खड्गं चक्रं गदेषु चापं परिघं शूलं भुशुण्डीं शिरः,
शंखं सन्दधती करैर्नयनवती सर्वाङ्गभूषावतीम्।
नीलाश्मद्युतिमासपाददशकां सेवेम महाकालिकां,
यामस्तौ हन्तुं मधुकैटभौ कमलजो हर्षोल्लसन् शंभुवत्॥
जयन्ती मङ्गलाकाली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥
प्रत्यालोहितपादपीठदधिशिरःघोराट्टहासान्विता,
खड्गानन्दकराऽऽत्रिखर्परभुजा हुँकारभीजोद्भवा।
खर्वाङ्गी नीलविशाला पिङ्गलजटा जूटैकनागोचिताऽ,
जायन्त्यास्य कपालकृत्यजगतां हन्तु प्रतारस्वयम्॥
Maha Kali Stuti
Om Kāli Kārāli ca Manōjavā ca,
Sulōhitā yā ca Sudhūmravarṇā।
Sphuliṅginī ca Viśvarucī ca Devī,
Lēlāyamānā iti Saptavāhniḥ॥
Khaḍgaṁ Cakraṁ Gadēṣu Cāpaṁ Parighaṁ Śūlaṁ Bhuṣuṇḍīṁ Śiraḥ,
Śaṅkhaṁ Sandadhatī Karairnayanavatī Sarvāṅga Bhūṣāvatīm।
Nīlāśmadyutimāsapādadaśakāṁ Sēvēma Mahākālikāṁ,
Yā Mastau Hantuṁ Madhukaiṭabhau Kamalajō Harṣōllasan Śaṁbhuvat॥
Jayantī Maṅgalākālī Bhadrakālī Kapālinī।
Durgā Śivā Kṣamā Dhātrī Svāhā Svadhā Namō'stu Tē॥
Pratyālōhitapādapīṭhadadhiśiraḥghōrāṭṭahāsānvitā,
Khaḍgānandakaraḥtrikharparabhujā Huṅkārabījōdbhavā।
Kharvāṅgī Nīlaviśālā Piṅgalajaṭā Jūṭaikanāgōcitā,
Jāyantyāsya Kapālakuṛtyajagatāṁ Hantuṁ Pratārasvayam॥
श्रीकालीकवचम् (Shri Kali Kavach)
विनियोगः
ॐ अस्य श्रीकालीकवचमन्त्रस्य नारद ऋषिः ।
अनुष्टुप्छन्दः । काली देवता ।
ह्रीं बीजम् । क्लीं शक्तिः । स्वाहा कीलकम् ।
भैरव प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ॥
शिरो मे कालिका पातु ललाटं कपालिनी ।
लोचन द्वयं पातु चामुण्डा चापराजिता ॥
कर्णौ मे करवीराली नासिकां नन्दिनी तथा ।
मुखं मे शूलिनी रक्षेत् जिव्हां रक्षतु डाकिनी ॥
कण्ठं मे कालरात्रिश्च स्कन्धौ रक्षतु भैरवी ।
करौ महेश्वरी रक्षेत् स्तनौ रक्षतु कामिनी ॥
हृदयं तारा रक्षेत् नाभिं रक्षतु सुन्दरी ।
कटिं मे रक्षतु काली ऊरू रक्षतु पार्वती ॥
जानुनी रुद्राणी रक्षेत् जंघे रक्षतु सर्वदा ।
पादौ मे रक्षतु श्रीदेवी सर्वाङ्गं शिवनायिका ॥
एवं कालीकवचं दिव्यं यो जपेत् श्रद्धयान्वितः ।
सर्वरक्षा मवाप्नोति भूतप्रेतादि नश्यति ॥
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माँ काली की साधना आरंभ करने के लिए उपयुक्त समय अमावस्या, काली अष्टमी, शनिवारी अमावस्या, कृष्ण पक्ष की अष्टमी, चतुर्दशी, दशमी, होली या दीपावली की रात्रि मानी जाती है। इस दिन रात्रि 11 बजे से प्रातः 3 बजे के मध्य साधना करना श्रेष्ठ है। साधक सबसे पहले माँ काली की मूर्ति या तस्वीर को लाल या काले वस्त्र से ढकी चौकी पर स्थापित करे और साथ ही जल भरे कलश पर नारियल व आम्रपल्लव रखकर पूजन करे। यदि कलश ताँबे का हो तो उत्तम है। माँ का मुख दक्षिण दिशा की ओर तथा साधक का मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। पूजन के लिए अखंड दीपक जलाएँ, जो सरसों के तेल अथवा घी का होना चाहिए। साधक लाल या काले वस्त्र धारण करे, लाल या रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करे और लाल या काले आसन पर बैठकर साधना आरंभ करे। माथे पर तिलक, सुगंधित धूप और इत्र का प्रयोग अनिवार्य है। भोग में मीठा पान, पेड़े, खीर, मेवे या फल अपनी सामर्थ्य अनुसार अर्पित किए जा सकते हैं।
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मंत्र जाप रात्रि में एकांत में करना चाहिए और जाप की संख्या ऐसी होनी चाहिए कि 21 दिन या 40 दिन में एक लाख मंत्र जाप पूरे किए जा सकें। प्रतिदिन का जप भले छोटा हो, परंतु निरंतर होना आवश्यक है। मंत्र जाप पूर्ण होने के बाद कम से कम 108 बार उसी मंत्र का पुनः जप करना चाहिए और यदि संभव हो तो कुल जाप की संख्या का दशांश हवन में आहुति के रूप में अर्पित करना चाहिए। साधना के उपरांत माँ को पुष्पांजलि और भोग लगाकर उसी कक्ष में विश्राम करना चाहिए। साधना के दौरान अनावश्यक बातचीत, क्रोध और विवाद से बचना चाहिए तथा जो भी स्वप्न या अनुभव हों, उन्हें गुप्त रखना चाहिए। साधना के दिनों में अनेक अद्भुत घटनाएँ घट सकती हैं, किंतु साधक को निडर रहकर साधना निरंतर करनी चाहिए। भयवश साधना को बीच में छोड़ना अनुचित है। दृढ़ निश्चय, शुद्ध मन और समर्पित भाव से की गई साधना माँ काली का आशीर्वाद शीघ्र प्रदान करती है।
Maa Kali Sadhana Guidelines
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The most auspicious time to begin Maa Kali’s sadhana is on Amavasya (New Moon), Kali Ashtami, Saturday Amavasya, Krishna Paksha Ashtami, Chaturdashi, Dashami, Holi, or Deepavali night. The best hours are between 11:00 PM and 3:00 AM. The practitioner should first establish Maa Kali’s idol or picture on a sanctified altar (covered with red or black cloth). A copper pot filled with water, topped with a coconut and mango leaves, should also be placed. Maa’s face must be towards the South direction, while the practitioner should face North. An eternal lamp (akhand deepak) of mustard oil or ghee must be lit. The practitioner should wear red or black clothes, use a red sandalwood or rudraksha mala, and sit on a red or black asana. Tilak, incense of guggul, and fragrant perfume (itr) are recommended. The offerings (bhog) may include sweet betel leaf (paan), peda, kheer, dry fruits, or fruits, according to one’s capacity.
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The mantra chanting (japa) must be done in solitude at night. The count of mantras should be such that at least 100,000 japa are completed within 21 or 40 days. Daily practice, even if small, must be consistent. After the completion of the total japa, one should recite the same mantra at least 108 more times. If possible, perform a homa (fire offering) with one-tenth of the total japa count. After this, offer flowers and bhog to Maa Kali, and rest in the same sacred room. During the period of sadhana, one must avoid unnecessary talk, anger, and quarrels. Any visions or dreams experienced should be kept secret. Many extraordinary experiences may occur during this period, but the practitioner must remain fearless and never abandon the practice midway. With firm determination, purity of mind, and complete surrender, Maa Kali’s grace and blessings are assured.
नोट: यहाँ वर्णित साधना किसी भी प्रकार की अघोर साधना या तामसिक तांत्रिक पद्धति से संबंधित नहीं है। उन साधनाओं के लिए गुरु-दीक्षा एवं गुरु-सान्निध्य अनिवार्य है। माँ काली के मंत्र अत्यंत प्रभावशाली होते हैं और इनके माध्यम से वशीकरण, उच्छाटन आदि जैसे प्रयोग भी संभव हैं, परंतु यह तभी सफल और सुरक्षित होते हैं जब साधक उचित मार्गदर्शन, शुद्ध आचरण और गुरु के संरक्षण में आगे बढ़े। इस मार्ग पर बिना गुरु के चलना साधक के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है।
Note: The practices described here are not related to Aghora Sadhana or any Tamsik Tantric methods. Such practices require proper initiation (Diksha) and the close guidance of a Guru. The mantras of Maa Kali are extremely powerful and can be used for purposes like Vashikaran (influence) and Uchchatan (removal of obstacles or enemies), but these are only safe and effective when performed under proper guidance, discipline, and the protection of a Guru. Attempting such practices without a Guru may lead to harmful consequences for the practitioner.